शायद ईश्वर भी अब डर रही है, देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में। शायद ईश्वर भी अब डर रही है, देख...., कल पुर्जों की छड़ी; तेरी हाथों में।
मज़हब का मज़ाक बनाया जाता है, इस नाम पर दंगा फैलाया जाता है। मज़हब का मज़ाक बनाया जाता है, इस नाम पर दंगा फैलाया जाता है।