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Dr Narendra Kumar Patel

Abstract Inspirational

4.0  

Dr Narendra Kumar Patel

Abstract Inspirational

नज़्म

नज़्म

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160


रास्ते बदल गये

जिंदगी के मेलें हैं

दिल के कोने में 

हम आज भी अकेले हैं


फासले किये नहीं

फिर भी हो ही जाते हैं

फासलों के दरमियाँ

हम आज भी अकेले हैं


न ही सिकवा था कभी

न ही अब सिकायत है

दर्द में पले बढ़े

ग़म के अब फफोले हैं


आंसुओं ने लिख दिया

दर्द के झमेले हैं

वरना इन झमेलों में

हम आज भी अकेले हैं


तेरे घर भी मेले हैं

मेरे घर भी मेले हैं

तू है सुर्ख जोडों में

हम तुर्बत में अकेले हैं।


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