Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Archana Verma

Inspirational

0.4  

Archana Verma

Inspirational

नियति का खेल

नियति का खेल

2 mins
1.2K


जब हम बुरे समय से

गुजरते हैं

अपने ईश्वर को याद

करते हैं

सब जल्दी ठीक हो जाये

यही फरियाद करते हैं

भूल कर उस ईश्वर

का जीवन संघर्ष

हम सिर्फ अपनी बात

करते हैं


चलो आओ याद दिलाती

हूँ एक रोचक बात

जो तुम सब को भी है याद


जब उस ईश्वर ने

अवतार लिया धरती पे

तो वो भी दर्द से अछूता न था

कहने को तो राज कुंवर थे

पर जीवन बहुत कष्ट पूर्ण था

रघुकुल में जन्मे

कोई और नहीं वो

 सबके राम दुलारे थे

जो सबकी आँख के तारे थे


उनको भी अपनों से ही

ईर्ष्या द्वेष सहना पड़ा

अपने ही घर में चल रही

राजनीती को

हंस कर स्वीकार करना पड़ा

जो वचन दिया था पिता ने

उसका मोल खुद श्री राम को

चुकाना पड़ा

पिता मूक बन देखते रहे

अपने वचनो के आगे वो कुछ कर पाए

क्योंकि रघुकुल रीत चली आई थी

प्राण जाये पर वचन न जाये

 माता तो माता होती है

वो कुमाता कैसे हो सकती है

दे कर वनवास श्री राम को

वो चैन कैसे सो सकती है

वो राम जो उनकी भी

आँख के तारे थे

रघुकुल में जन्मे

कोई और नहीं वो

सबके राम दुलारे थे


सही कहते है सब कोई

माँ बाप के पाप पुण्य

सब उनकी संतान में

हैं बँट जाते

फिर क्यों श्री राम ने ही

चौदह वर्षों के वनवास काटे  ??

ये अलग बात है के वे

ईश्वर थे

सब पल में बदल सकते थे

 कर के नियति में फेर बदल

 वो अपने ईश्वर होने का

प्रमाण दे सकते थे

पर वो जानते थे

विधाता होना आसान है

पर मनुष्य होना आसान नहीं

 लिया था अवतार उन्होंने

इसीलिए

के हम उनके जीवन से कुछ

सीख सके

रघुकुल में जन्मे

कोई और नहीं वो

सबके राम दुलारे थे


सब जानते हैं के इन

चौदह वर्षो में

उन्हें क्या क्या न सहना पड़ा

अपने अवतार को निभाने के

लिए न जाने क्या क्या

कीमत चुकाना पड़ा

ऊँचे कूल में जन्मे

पर न राज सुख , न पत्नी सुख

और न संतान सुख

रहा वर्षो तक

उनकी किस्मत में

जो बस पैदा ही

हुए थे

एक राजा के महलो में

रघुकुल में जन्मे

कोई और नहीं वो

सबके राम दुलारे थे


अब इस से आगे क्या लिखू

जब वो ही बच न पाए

विधाता की बनाई नियति से

तो हमारी क्या औकात है

सिर्फ इतना याद रखो

अपना कर्म ही अपने साथ है

क्योंकि इन चौदह वर्षों में भी

अपने अच्छे कर्मो के कारन

उन्हें लक्ष्मण से भाई

और श्री हनुमान से

साथी मिले

जिनका चरित्र आज भी

हम लोगो के ह्रदय में

करता वास है

रघुकुल में जन्मे

कोई और नहीं वो

सबके राम दुलारे थे


पैगम्बर मोहम्मद हों , या हों जीसस

या हों श्री गुरु नानक

क्या इनका जीवन आसान रहा ?

फिर हम क्यों दुःख आने पे

व्याकुल हो जाते हैं

हम क्यों इनके जीवन से

कुछ सीख नहीं पाते हैं?

मैं भी जब व्याकुल होती हूँ

श्री राम चरितमानस का पाठ

करती हूँ

तुम भी पढ़ना उसको कभी

शायद तब तुम्हें अपना

जीवन आसान लगे

और तुम्हे अपने बुरे समय में

उस ईश्वर के अवतार से

कुछ ज्ञान मिले

मनुष्य जीवन न उनके

लिए आसान रहा

जिनकी पूजा हम करते हैं

फिर हम क्यों दुःख आने पर

यूं व्याकुल हो जाते हैं ??

भूल कर उस ईश्वर

का जीवन संघर्ष

हम सिर्फ अपनी बात

करते हैं.........



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational