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Mustafa Dhorajiwala Musa Shayar

Abstract

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Mustafa Dhorajiwala Musa Shayar

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निवाला

निवाला

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कूड़ेदानों  में जो  निवाला है

रिज़्क़ फेंका हुआ किसी का है।


हिस्सा उस शख़्स का है दिन भर से

जो के मोहताज इस खुशी का है।


पानी दाना किसीको दो ये भी

हक़ इलाही की बंदगी का है।


पीटकर ढोल ना करो सदक़ा

ये अमल औज-ए-खानगी का है।


कब नजाने  ये वक़्त फिर जाए

क्या भरोसा भी दो घड़ी का है। 


देख मूसा कभी मदद करके

ये मज़ा देती  ज़िन्दगी का है।


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