निशक्त ना रह जाऊं
निशक्त ना रह जाऊं
अपने जब अपने ना रहे,
शिकायत हो किससे।
शाख से टूटा हुआ फल,
अपनी हिफाजत करें कैसे।
माझी ही हो जब डरा हुआ,
लहरो पर विश्वास करें कैसे।
काट कर पंख उड़ने कहते,
आस्मां ऊँचा ,उड़े कैसे।
क्या तुम सचमुच मेरे अपने हो,
जो बार बार परीक्षा लेकर,
जीवन संधर्ष के लिऐ तैयार करते हो।
मैं गिर कर उठ जाऊं,
उठ कर फिर संभल जाऊं।
दुनिया को संभाल पाऊं।
निशक्त ना रह जाऊं
