निश्चय
निश्चय
अश्कों को संभालते हैं किसी तरह से,
तेरे दिये दर्द मे जीने की ख्वाइश तो न थी।
बेवजह मुस्कुराना आदत सी बन गयी।
तेरे साथ संजो कर दामन मे लम्हे हमे कैद कर चुके थे।
तेरे स्पर्श से खिलने लगे थे हम,
चाँद में नहा कर, लबों से लब मिल चुके थे।
करीब दिल के, रूह को छू कर
अपने आगोश मे लेकर एक हो गये।
दुनिया से बेखबर स्वप्न लोक में बसेरा था।
प्यार की जमी पलको मे तेरे नजारे हर तरफ बस ख्याल तेरा था।
सबकी सुधबुध कहाँ हो, जेहन में नाम तेरा था।
बंसत का आगमन जिंदगीमे तेरे आने से हुआ'
चलना मुश्किल था बिना तेरा हाथ थामे।
बिना पंखों के उड़ना तेरी यादो के साथ
ऐसा हाल चित का चितचोर ने किया।
अफताब बन कर आलिंगन कर सवार दिया और पलकें बंद
महसूस हर पल को किया।
इस पल की गिरफ्त में हमने ताउम्र
गुजर करने का फैसला लिया
दोनों की वफा भरपूर थी लेकिन
किस्मत का लिखा टल सकता है ।भला.....
अलग होकर भी दोनो की राह....
तू मुझ मे समा मेरी वफा गई तुझ मे समा......
दिल की जमीं मे वफा की कसक दोनो ने दफन कर ली।
तू मुझ मे समा मै तुझ मे समा .......
तन से रूह तक छू कर होने लगे फ़ना.............