-निरन्तरता
-निरन्तरता
बढ़ता जा आगे अनवरत
मत देख तू पथ के काँटों को,
चुभते है चुभ जाने दे इन्हे
ना रोक तू बढ़ते कदमो को,
दर्द सहले बयां ना कर
तू भूल जा इन व्यर्थ की बातो को,
आगे बढ़ हौसला ना हार कभी
तुझे छूना है उस ऊंचाई को,
जलना है जलती धुप की तरह तुझको भी
रुख ना मोड़ अपना ठंडी छांवो की तरफ,
बरसात होना हो भले ही
तू तुफानो को चीरता हुआ चल,
रौशनी हो या गहरा अंधेरा हो वहां
हो वो राह वीरान या हो खूब सन्नाटा हो वहां,
उन सुनी राहो से
तू खुद का सहारा बनकर निकल,
धूल भरी आंधी हो चाहे
सर्द हवाओ की बात हो,
देख ना पीछे मुड़कर फिर तू
दिन हो चाहे रात हो,
निकल थककर तू ना बैठ कभी
जज्बाती भले कोई बात हो,
कर अथक परिश्रम तू भी के
सफलता को भी तुझपर नाज हो l