निर्भया का कत्ल
निर्भया का कत्ल
अच्छा हुआ जो तू मर गयी
क्या सह पाती तू जो।
रोज तेरे साथ होता,
उस दिन एक बार हुआ।
पर हमारे कानून की वजह से,
तेरा तिरस्कार बार बार हुआ
आज जो लड़ रही है उन दरिदों
का केस क्या वो महिला है ?
कैसे भूल सकती है वो जो तेरे साथ हुआ
कैसे माफ़ कर दे उन दरिंदो को ?
आज एक निर्भया के सपने चकनाचूर हुए है
कल जाने कितनी माओ की बेटियाँ
निर्भया, प्रियंका बनायी जाऐंगी
और उन दरिंदो को माफि मिल जाएगी
फिर क्या रह जायेगी ये न्याय व्यवस्था
क्या कोई निर्भया जैसी बेटी
अपना केस लड़ पाएगी
ये लड़कियां है किसी के घर का चिराग है
अपने माता पिता का सपना पूरा करने
का जज़्बा लाजबाब है
फिर तुम जैसे लोग तो हर रोज मिल जाते है
जो अपनी चंद लम्हो की ख़ुशी की
खातिर किसी के घर की इज़्ज़त से खेल जाते हैं
कैसे भूल सकता है कोई वो दिन जब उस
दर्द से हार गई थी वो
जिसे लोगो ने निर्भया नाम दिया था।