निखार आया है
निखार आया है
काबिलियत को अंतिम बूंद तक
निचोड़ा है।
सूर्य के ताप में सेका है।
हर बाधा का कान मरोड़ा है।
हर बहस से हाथ खींचा है।
हर पहर बेईमानी की नकेल को कसा है।
अब जाकर चैन की बंसी बजाने का
मौका आया है।
जिंदगी में कुंदन सा निखर आया है।