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Ranjeet Jha

Abstract

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Ranjeet Jha

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नींद

नींद

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नींद

आज दिखा दी मैंने

नींद को आंख

खोलकर बैठ गया

लैपटॉप, कम्प्युटर और मोबाइल

टी.वी. भी खोल दिया


देखता हूं कब तक नही आती है

नींद 

तू ज़रूरी नहीं

तेरा सौदा कर दिया हमने

क्रेडिट कार्ड और होम लोन से

जिसके लिए 


सुबह उठाना

ऑफिस जाना

काम करना

स्कूल कि फीस

घर का राशन 

तू आये 

ना आये

क्या फर्क पड़ता है ?


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