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Sunil Gupta teacher

Tragedy

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Sunil Gupta teacher

Tragedy

नदियों का रुदन

नदियों का रुदन

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 गंदा नाला नदी में डाला,

 कचरा सारा नदी में डाला।

 होम धूप सब नदी में डाला,

 पुण्य कमाने जाओ,

 नदी में तुम नहाने जाओ।। 


जीवन रेखा सारी नदियां,

पानी से है सारी दुनियां।

नदी किनारे बसी बस्तियां,

क्यों गंदा करने जाओ ।

कुल्हाड़ी अपने पैर मराव।।


नदियां तुमने न बनबाईं ,

प्रभु की करूणा वो भिजवाईं।

वो हैं सभी मात की नाईं,

ना दोहन करने जाओ।

ना तुम गंदा करने जाओ।।


गंगा जमुना होंय नर्मदा,

सब नदियों का अलगओयदा।

सारे जग को उनसे फायदा,

उनका महत्व समझते जाओ,

सारे जन को तुम चेताओ ।।


उनको पूजो जाओ सर्वदा,

प्रकृति का भी अपना कायदा।

नदियों से है भारी फायदा,

ना ही उनका नाम मिटाओ।

नहीं तो भारी ही पछताओ।।



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