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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Abstract Others

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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नदियां

नदियां

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कल -कल ध्वनि मृदुल सुनाती नदियां ।

घर्र-घर्र कर बरसात में डरातीं नदियां ।।


इठलातीं /

बलखातीं /

इतरातीं नदियां !


मीलों सफर तय करतीं नदियां ।

ये कभी नहीं थकती नदियां ।।


अमर कहानी कहतीं / 

कर्म निरंतर करतीं /

गतिमय रहो सिखातीं नदियां !


सदा अविरल बहती रहतीं नदियां ।

जग का उपकार करती रहतीं नदियां ।।

वेद- पुराण सब महिमा गाते नदियां ।

भारत में देवी सम पूंजी जातीं नदियां ।।



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