नैतिक शिक्षा
नैतिक शिक्षा
अहम के भाव होते अनोखे
लगते स्वयमेव को ही चोखे
पर निंदा भी व्याभिचार है ।
निंदक जन ही खाते धोखे ।।
धनार्जन में समय बीत गया ।
हाथ कभी गीले कभी सूखे ।।
मित्रवत व्यवहार है जिनका ।
उनसे, मित्रता के सब भूखे ।।
नैतिक शिक्षा लिखे 'नताशा' ।
कलम सिपाही के संग सीखे ।।
------इति--------