चाँद और तुम
चाँद और तुम
चाँद और तुम दोनों का अलग नूर,
चाँद का गगन में, तेरा धरा पर नूर।
सुबह उठते है तो देखा उनका नूर,
शाम को भी जब देखा उनका नूर।
रात्रि को जब भी देखा उनका नूर,
सूरज चाँद अमावस लगता हुज़ूर।
सुबह न देखा उनके चेहरे का नूर,
शाम न देखा उनके चेहरे का नूर।
रात ना देखा उनके चेहरे का नूर,
सूर्य चाँद तब फ़ीके दिखते हुज़ूर।
वो मेरे चौदहवीं का चाँद है सुंदर,
नील गगन का चाँद फ़ीका हुज़ूर।
चाँद हमारा मामा जैसे लगे हुज़ूर,
और आप हमारी हमसफ़र हुज़ूर।
ये आसमान का चाँद तारों का नूर,
चौदहवीं का चाँद सिर्फ़ हमारा नूर।