Sudhirkumarpannalal Pratibha
Abstract Inspirational
मानक
पैमाना
सीमा
संतुलन
मापदंड
से
परे
जो
होता
है
वही
बुरा
का
यही
असली
परिभाषा
है।
संबंध और रिश्...
जान बेजान
जीवन सरल नहीं...
सोचना
सब झूठ
निरंतरता
मां
प्रेम अधूरा न...
मां सर्वोपरी ...
मां हर रिश्तो...
एक-एक पल को दिन-रात गढ़ते हैं। चलो एक बेहतर कल की शुरुआत करते हैं।। एक-एक पल को दिन-रात गढ़ते हैं। चलो एक बेहतर कल की शुरुआत करते हैं।।
अलग होने के मोड़ पर जो खड़े हो, क्या खुश हो तुम चोट दिल में पहुँचाकर। अलग होने के मोड़ पर जो खड़े हो, क्या खुश हो तुम चोट दिल में पहुँचाकर।
जब सांसों पे कर्ज ना था, आज तो नसीब की ही कर्जदारी थी ... जब सांसों पे कर्ज ना था, आज तो नसीब की ही कर्जदारी थी ...
कौन भिखारी, कौन सिकंदर इस जहां में, कौन जानता है। कौन भिखारी, कौन सिकंदर इस जहां में, कौन जानता है।
अपने इस दिल को थोड़ी सी तो खुशी होती है। ज़्यादा अच्छा काम करने की इच्छा होती है। अपने इस दिल को थोड़ी सी तो खुशी होती है। ज़्यादा अच्छा काम करने की इच्छा होती...
नई शुरुआत का आगाज़ करने संग अपने उम्मीदें लाई हैI नई शुरुआत का आगाज़ करने संग अपने उम्मीदें लाई हैI
मौत को धकेल वो जीत गई, देखो ज़िन्दगी फिर नशे में झूम रही। मौत को धकेल वो जीत गई, देखो ज़िन्दगी फिर नशे में झूम रही।
परंपरा को भूलने से ही नित हमारा है पतन स्वीकार करने से इससे हो न कभी भटकन।। परंपरा को भूलने से ही नित हमारा है पतन स्वीकार करने से इससे हो न कभी भटकन।।
पानी का मोल हो। माने इसे अनमोल। पेड़ है जननी इसकी। रहे न इससे दूर। पानी का मोल हो। माने इसे अनमोल। पेड़ है जननी इसकी। रहे न इससे दूर।
खुद को इतना भी मत बचा वक़्त की मार से, बारिश हो तो भीग जा, रिमझिम फुहार से। खुद को इतना भी मत बचा वक़्त की मार से, बारिश हो तो भीग जा, रिमझिम फुहार स...
मन के मनघड़ंत किस्सों को, सच्चाई में बदलने को। मन के मनघड़ंत किस्सों को, सच्चाई में बदलने को।
कविता ही कविता हर ओर कहां है ओर, कहां कोई छोर। कविता ही कविता हर ओर कहां है ओर, कहां कोई छोर।
देखो, मन की आँखों से, ढूंढ़ लो इस शोर में शाबाशियां और तालियां। देखो, मन की आँखों से, ढूंढ़ लो इस शोर में शाबाशियां और तालियां।
छोड़ सियासत का दामन, आओ ज़रा, इंसानों में ! छोड़ सियासत का दामन, आओ ज़रा, इंसानों में !
फूलों के साथ फूल बन कर मुस्करा लेते हैं। फूलों के साथ फूल बन कर मुस्करा लेते हैं।
तन्हा होता हूँ तो प्रेम चला आता है तन्हा होता हूँ तो प्रेम चला आता है
फिर कलम से लफ़्ज़ों में, लिख दिया जाता है। फिर कलम से लफ़्ज़ों में, लिख दिया जाता है।
छूट गया इक गुस्से में जो यार मेरा रह रहकर याद मुझे आता है। छूट गया इक गुस्से में जो यार मेरा रह रहकर याद मुझे आता है।
तेरे आँगन में आज भी है बिछौना मेरा। सीना तेरा मुझ पर ही अकड़ता क्यूँ है। तेरे आँगन में आज भी है बिछौना मेरा। सीना तेरा मुझ पर ही अकड़ता क्यूँ है।
काश! तुम हमारी जिंदगी में आई न होती मुझे मुस्कुराने की आदत लगाई न होती। काश! तुम हमारी जिंदगी में आई न होती मुझे मुस्कुराने की आदत लगाई न होती।