मां सर्वोपरी है
मां सर्वोपरी है
शब्दों
में
इतनी
ताकत
कहां
जो
मां
को
परिभाषित
कर
दे
अर्थों
में
इतनी
ताकत
कहां
जो
मां
के
बारे
में
समझा
सके
अनुभव
भी
उतनी
शक्तिशाली
नहीं
जो
मां
के
त्याग
को
भान
करा
सके
अनुभूति
भी
बौनी
है
मां
से
ऊपर
कुछ
भी
नहीं
मां
सर्वोपरी
है