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Shehla Jawaid

Abstract

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Shehla Jawaid

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नारी

नारी

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ना प्यार से ना तकरार से

ना पिया के अनुराग से

नारी तुम बँधी हो 

केवल अपने सपनों के संसार से।


जीत से ना हार से 

ना पल-पल रंग बदलती

इस दुनिया के व्यहवार से

नारी तुम बँधी हो 

केवल अपने सपनों के संसार से।


ना जुड़ाव से ना बिखराव से

ना जीवन के उतार चढा़व से

नारी तुम बँधी हो 

केवल अपने सपनों के संसार से।


ना अमीरी से ना ग़रीबी से

ना दुनिया की संस्कृती से

नारी तुम बँधी हो

केवल अपने सपनों के संसार से।


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