नारी तुम बँधी हो केवल अपने सपनों के संसार से। नारी तुम बँधी हो केवल अपने सपनों के संसार से।
समाज रिश्तों की विविधता है समाज मानवता की कल्पना है। समाज रिश्तों की विविधता है समाज मानवता की कल्पना है।
मुनासिब है भटके को, मंजिल मिल ही जाती है। गर 'मुश़ाफिर' ही मुश़ाफिर के काम आते हैं। मुनासिब है भटके को, मंजिल मिल ही जाती है। गर 'मुश़ाफिर' ही मुश़ाफिर के काम आत...
जब तक सबसे जुड़ ना पाएँ कभी नहीं कल्याण यहाँ पर ! जब तक सबसे जुड़ ना पाएँ कभी नहीं कल्याण यहाँ पर !
किसी भी बेटी के लिए सबसे कठिन समय विदाई का होता है, जब वह अपने पिता को अलविदा कहती है। यह कविता मैंन... किसी भी बेटी के लिए सबसे कठिन समय विदाई का होता है, जब वह अपने पिता को अलविदा कह...
मौत का तांडव फिर होता है ये कैसा भारत देश बना बहरूपिया तेरे शासन में।। मौत का तांडव फिर होता है ये कैसा भारत देश बना बहरूपिया तेरे शासन में।।