नारी
नारी
तेरे होने पर अहसास
होता है जीवन का,
तू न होती तो इस धरा पर
जीवन का होना ना मुमकिन होता।
तेरी गोद मे पल कर बड़े हुए,
तेरी उंगली थाम कर चलना सीखा सबने,
तू ना होती तो यूँ बेफ़िक्र
जीना ना मुमकिन होता।
इस कलाई को सजाया तूने,
झूठ बोल कर ना जाने
कितनी बार बचाया तूने,
तू ना होती तो यूँ खुद से
लड़ पाना ना मुमकिन होता।
बचपन में साथ निभाया तूने,
दोस्त बन कर खूब हंसाया तूने,
तू ना होती तो यूँ ख़ुशी से
जी पाना ना मुमकिन होता।
तू माँ है, तू ही है भगिनी,
तू दोस्त है, तू ही प्रेमिका है,
तू है जगत जननी और
अंतकाल तू ही है विध्वंसिनी।
तेरे होने पर ही अहसास
होता है जीवन का,
तू ना होती तो इस धरा पर
जीवन का होना ना मुमकिन होता।
