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Sumit Mandhana

Abstract

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Sumit Mandhana

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"नारी"

"नारी"

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महिला दिवस के उपलक्ष्य में,

समस्त महिलाओं को समर्पित।।


नारी ही शक्ति है , नारी ही बल है।

नारी से ही आज है, नारी से ही कल है।


नारी ही ईश्वर है, नारी ही भक्ति है।

नारी ही मेहनत है, नारी ही प्रगति है।


नारी ही देवी है , नारी ही अप्सरा है।

नारी ही अंबर है , नारी ही धरा है।


नारी ही करुणा है, नारी ही ममता है।

नारी ही प्रेम है , नारी ही क्षमता है।


नारी ही विविधता है, नारी ही समानता है

नारी ही एकता है, नारी ही समता है


और अन्त में


नारी ही बंदगी है , नारी ही पूजा है।

नारी से बढ़कर, कहां कोई दूजा है ।

नारी से बढ़कर, कहां कोई दूजा है ।


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