STORYMIRROR

Anju saraswat

Crime

4.7  

Anju saraswat

Crime

नारी

नारी

1 min
451


आज मानवता हो गई है फिर से शर्मसार,

कैसे कह दूँ यही है मेरे सपनो का संसार ?


लगा था सोच बदलेगी निर्भया की जान से,  

फिर से दरिंदे खेल गए आसिफा के ईमान से।


वो एक डॉक्टर थी,पर भगवान से कम न थी,

नोच डाला उसे भी दरिंदो ने थोड़ी रहम न की।  


कैसा समाज है ये कैसी इनकी सोच है,

डरी हुई है हर एक नारी,लगी दिल पर चोट है।


मानवता का अस्तित्व हिला है नारी पर अब प्रश्न उठा है

दे देंगे इसका उत्तर भी हम जो समाज ने दिया गिला है।  


कितनी भी कर लेना कोशिश हम तुमको ये दिखाएंगे,

पापी हो या अत्याचारी इस समाज में टिक ना पाएंगे।


भीषण आग धधक रही है इस क्रूरता की न माफी होगी,

सुनलो पापियों आज नहीं तो कल सबको फांसी होगी।  

  

ये बदलाव की घड़ी है जागो सभी नारी, 

न दरिंदे चाहिए न ही कोई बलात्कारी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Crime