नारी शक्ति
नारी शक्ति
घर की उठाए वह जिम्मेदारी,
सुबह नौकरी की तैयारी,
कहीं–कहीं विध्यालय की प्रभारी,
हर मोर्चे पर लड़ती है नारी,
श्रृंगार करे तो लगती है प्यारी,
क्रोध में लगती तलवार दुधारी,
देवी बने तो प्रख्यात है धारी,
वात्सल्यता की मूर्ति मां बलिहारी,
बहन–बेटी तो बने दुलारी,
सिंह की जो करे सवारी,
शक्ति की वो है अवतारी,
नमन ,श्रद्धा, आदर की हकदारी
सदा सम्मान की वो अधिकारी।
