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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

Abstract

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लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव

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नारी की व्यथा कथा

नारी की व्यथा कथा

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नारी की व्यथा कथा अब हुई पुरानी,

वर्तमान में नारी लिख रही नई कहानी।

अपने हक़ के लिए नारी ने लड़ना सीखा,

नारी की जीवन गाथा अब हो रही सुहानी।


पहले नारी अत्याचार व शोषण सहती,

कितनी भी विपदा आए वह न कहती।

मुखर हुई अब नारी की आवाज,

अन्नाय के विरुद्ध अब न है झुकती।


पुरुषों के सदृश अब चलना सीख लिया,

शिक्षा, विज्ञान, खेल सब में है नाम किया।

सिंधु, साइना, मैरीकॉम बन कर चमक रही,

रण में भी नारी ने दुश्मन से मोर्चा लिया।


अपने अपमान का बदला नारी लेती है,

अधिकारों को पहचान भी करती है।

कमजोर न आंके अब कोई नारी को,

नारी आँखों में अब आँसू न भरती है।


माँ, बहन, बेटी, पत्नी का उसे सम्मान,

इंदिरा, लता, कल्पना की बनी पहचान।

समाज में न कमतर न समझे हम,

नारी अब जग में बनाती नए प्रतिमान।


दबी, कुचली, मैली नारी का दौर खत्म हुआ,

ज्ञान से लैस नव क्रांति का उदय हुआ।

सम वर्चस्व का अब नव जागरण,

देश के उन्नति में नारी का योगदान हुआ।


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