स्त्रीत्व की शक्ति का परिचय
कौन ले सकता है?
जो स्वयं प्रकृति स्वरूप है।
देवी!
ज्ञान, धन और शक्ति की
जिसके विविध रूप हैं।
जन्म जिस के गर्भ में,
पालन जिसकी गोद में,
ऋषि,
महर्षि,
देव,
मानव,
महामानव,
जिससे पोषित,
ढले जिसके अनुरूप हैं।
बह!
शुद्ध स्वरूपा,
सदा अनूप है।