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Asst. Pro. Nishant Kumar Saxena

Abstract

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Asst. Pro. Nishant Kumar Saxena

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नारी की शक्ति

नारी की शक्ति

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नारी तू शुद्ध स्वरूपा, नारी तू नारायणी।

करुणा, दया, वात्सल्य, तेज, साहस धारिणी।।

परिवार की धरा, सेवक मां-पिता की,

भाई-बहन की सहायक, समृद्धि सुख प्रदायिनी।


संतान का व्यक्तित्व तुझमें निहित,

पति का भविष्य तुझमें समाहित,

अभाव-ऐश्वर्य में समत्व वाली तू महा योगिनी,

पुरुष की शक्ति अर्धांगिनी।


तू सक्षम शासक, कुशल प्रशासक, समाज हेतु नव-पथ-प्रदायिनी।

राष्ट्र सेवा में समर्पित, सैन्य, अर्धसैन्य बल में प्रतिभागिनी।


भूमि-जल-वायुयान चालन में निपुण,

रणयान चालन में पारंगत,

अस्त्र-शस्त्र विद्या में सिद्धहस्त, राष्ट्र-शत्रु-दल संहारिणी।


संसार की सर्वोच्च पर्वत चोटी पर तेरे पग चिन्ह।

ज्ञान-विज्ञान-विधान में तू विशारद,

वक्त्री, अधिवक्त्री, शिक्षिका, चिकित्सिका विविध रूप तेरे।

तू बलिष्ठ, कुश्ती, भारोत्तोलन में,

पदकों पर पदक जीत गौरववर्धन करती देश का।

समस्त विश्व क्रीड़ाओं में प्रबल प्रतिद्वंद्विनी, श्रेष्ठ प्रतिभागिनी।


देवी तू जननी विश्व की, प्रकृति स्वरूपा,

मृत्यु से द्वंदोपरांत नवजीवनदायिनी।


तू सर्वत्र, सब तुझमें व्याप्त,

गृहस्थी की धुरी, तू अन्नपूर्णा, पूर्ण कर्तव्य निर्वाहिका।

घर-बाहर के कर्तव्य संभालती,

अद्भुत है, धन का अर्जन भी करती, परिवार भी पालती।

ग्रीष्म, शीत, वृष्टि में अन्न उत्पादन हेतु श्रम करती।

कृषि क्षेत्रों में सतत कार्यकारिणी।


तू है, तू थी, तू रहेगी।

सृजन, पालन, पापसंहार गुणों से युक्त,

सदा, सर्वदा सुमंगलकारिणी।

नारी तू नारायणी।


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