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Bhoop Singh Bharti

Inspirational

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Bhoop Singh Bharti

Inspirational

नारी की चाह

नारी की चाह

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201



चाह नहीं मैं मां बनकर

खानदान की लाज बनूं।

चाह नहीं बेटी बनकर,

घर के काम-काज करूँ।


चाह नहीं पत्नी बनकर,

पति के दिल पर राज करूँ।

चाह नहीं अबला बनकर,

मैं सबकी मोहताज बनूँ।


चाह मेरी है पढ़-लिख कर,

मस्तक पर अपने ताज धरूँ।

चाह मेरी चार दीवारी लांघ,

मैं दूनिया पर राज करूँ।


चाह यही बस नारी बनकर,

मैं एक नया अंदाज़ बनूँ।

चाह यही है सबला बनकर,

मैं खुद पर ही नाज करूँ।



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