नारी का सम्मान
नारी का सम्मान
नर के घमंड को ललकार कर, नारी ने अपना स्वाभिमान पाया है
नशे में डूबे अहंकार को तोड़कर, नारी ने अपना सम्मान पाया है।
उठ खड़ी हो नारी, क्यों ऐसे नशे के आगे तूने अपना सर झुकाया है,
नारी ने सदैव ही समर्पण कर अपना घर बचाया है।
नर ने घमंड में आकर अपने ही घमंड का मान बढ़ाया है
घमंड को तोड़कर नारी ने अपना सम्मान पाया है।
घमंड ज्यादा दिन ना रह पाएगा,
एक दिन यह घमंड रावण की तरह चकनाचूर हो जाएगा।
घमंड के नशे में डूबा एक दिन तू प्रायश्चित में डूब जाएगा,
पर तेरे हाथ तब भी कुछ नहीं आएगा।
नशे के घमंड को उतार कर फेंक दे इंसान, वरना तू बहुत पछताएगा।
वरना पूरी दुनिया के सामने नतमस्तक हो जाएगा, पर ये नशा तेरा कोई काम नहीं आएगा।।
इस नशे ने तुझे नींद तो दी होगी पर शांति नहीं दे पाएगा,
बिना मन की शांति के तू आ शांति से जी नहीं पाएगा।
<p> तोड़ दे घमंड के इस मिथ्या भ्रम को, यह नशा घमंड का तेरा साथ नहीं दे पाएगा एक दिन बहुत पछताएगा।
तेरा साथ देने तब शायद कोई आ नहीं पाएगा, तो मन ही मन पछतायेगा,
तेरे घमंड की वजह से छूटे हुए लोग आ भी गए तेरे पास तो भी तो उनसे वो प्यार नहीं पाएगा।
घमंड के नशे में तोड़े हुए रिश्तो अब तू जोड़ नहीं पाएगा, इसीलिए झुक जा इंसान तोड़ दे इस झूठे घमंड का अभिमान।
समय सब तुझे सिखाएगा, इस समय के आगे तेरा घमंड टिक नहीं पाएगा।
घमंड चाहे कैसा भी हो, किसी का भी हो नर का हो या नारी का घर को बर्बाद करता है
लोगों से दूरी बढ़ा कर तुम्हें अकेलेपन का शिकार बनाता है,
नर के घमंड को तोड़कर सदैव नारी ने अपना सम्मान पाया है।
ऐसे ही नारियों ने जगत को नारी शक्ति का बोध कराया है।
" नारी तू अबला नहीं तू है नर की खान
नारी से नर होता है जो धूव है!