नारी का सम्मान
नारी का सम्मान
नारी क्या लिखूँ तुम्हारे सम्मान में
मुझको वो शब्द नहीं मिलते,
करूँ किससे से तुम्हारी सुन्दरता की तुलना
मुझको वो सुमन नहीं मिलते !
नारी क्या फूलों सी कोमल काया पा
लड़ाकू विमान उड़ाती तुम!
तुम्हारे जैसे फ़ौलादी सीने वाले
अरमान नहीं मिलते ! नारी क्या
सीता, सावित्री, गौतमी, अहिल्या, राधा,
मीरा, मरियम का पावन स्वरूप तुम
सजाऊँ कैसे तुम्हारी अनुपम कृति वो
तराशे हुए रत्न नहीं मिलते !
नारी क्या
नन्हें नन्हें रुनझुन वाले पैर,
जब पहुँच जाते हैं चाँद और मंगल ग्रह पर
उन पैरों के थाप नहीं मिलते !
नारी क्या लिखूँ
देख के कर भूखे माँ बाप की ज़िम्मेदारियाँ
जब चलाती हो तुम ऑटो
रिक्शा वो बेटे नहीं मिलते !
नारी क्या लिखूँ
कलछी और कढ़ाई चलाने वाले हाथ,
जब बड़े बड़े, स्टोन,
स्टील के कारख़ाने मिले चलाती हो तुम
उन हाथों में मेहँदी के रंग नहीं मिलते !
नारी क्या
कभी बनी तुम मैरी क्यूँरी,कभी बनी मदर टेरेसा
जीवन के हर क्षेत्र में तुम्हारी गहरी आस्था
उठा सके तुम्हारी तरह मानवता का जो
भार अब वो कन्धे नहीं मिलते
नारी क्या लिखूँ
किसी शहीद की बेवा बननेके बाद
अपने बेटों को देती हो देश भक्ति की लोरियाँ
कर देती हो बेटों को भी वतन पर क़ुर्बान
ऐसी मॉंऔ के जज़्बे नहीं मिलते
नारी क्या लिखूँ तुम्हारे सम्मान में
मुझे को वो शब्द नहीं मिलते !
करूँ किससे तुम्हारी सुन्दरता की
तुलना मुझको वो सुमन नहीं मिलते !