नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
मैं नवल शती की नारी
थामे कंधों पर
दोहरी जिम्मेदारी,
निभा रही हूँ
आज
गृृृहस्थी भी
और राष्ट्र भी ।
उद्देश्य नहीं
पालना महज
अपना घर संसार
रााष्ट्रोत्थान का
पथ भी
मैैंने किया स्वीकार ।
नारी का
विश्वास-समर्पण
यही उसकी
पहचान है
इन्हीं के बल पर
विकसित हो रही
इस राष्ट्र की
शान है ।
ले जा रही
ये शक्तिरूपा
राष्ट्र-यान उत्थान पर ।
नमन...... नमन
हे आद्या शक्ति
नवल उन्नति
के विहान पर ।
