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sarika k Aiwale

Romance Tragedy

3  

sarika k Aiwale

Romance Tragedy

ना समझा कोई

ना समझा कोई

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ना समझा कोई आज तक यह तड़प कैसी

चाह तो नहीं किसी से मगर ये खलीश कैसी

प्यास भी न लगे न कोई दुआ काम आई

जब भी कोई मोहब्बत की बात है छेड़ी

तेरी बेरुखी भरी नजर हमें मार गयी

ना समझा कोई आज तक यह तड़प कैसी

चाह तो नहीं बारिशें हो हमेशा प्यार की

चाहत में ये दोस्त हो परवाह सिर्फ यार की

क्यों समझे इसे खता यह तो अदा है प्यार भरी

जुदा सही मगर खूबसूरत है गली यार की

ना समझा कोई आज छायी क्यूँ खामोशी सी

चाह तो नहीं तुझसे खुशी की उम्मीदें भी नहीं

अब तो मंजिलें हैं रुसवा और राहे खफा सी

हुई रुखसत जो तेरी महबूबा जिंदगी है रुठी

साथी न कर गम वो नहीं है शामिल जिंदगी में




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