ना मैं हिन्दू ना मैं मुसलमान ,मैं हूँ बस एक गरीब इन्सान
ना मैं हिन्दू ना मैं मुसलमान ,मैं हूँ बस एक गरीब इन्सान
देश को अपना कहने वालों
कभी देशवासियों को भी अपना मानो
कोई वादा कभी पूरा ना किया
साथ कभी हमारा ना दिया
आज बस है इतनी सी इल्तिजा
घर पहुंचा दो, यह चलना बन गया है सज़ा
मेरी नहीं तो मेरे बच्चों और बूढ़ी माँ की कर लो फिक्र
वादा करता हूँ इस दुख का ना करूँगा फिर कभी ज़िक्र
चल पड़ा हूँ भूखा प्यासा
आपने घर को देखने की मन में ले कर लालसा
ना मैं हिन्दू ना मैं मुसलमान
ऐ मेरी सरकार मैं हूँ बस एक गरीब इन्सान
कृपया करें मेरी भी समस्या का समाधान!