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Kumar Gaurav Vimal

Abstract

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Kumar Gaurav Vimal

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ना आना तुम

ना आना तुम

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गिरकर उठा हूं अभी अभी,

अभी हाथ थामने ना आना तुम...

डूब जाने दो मुझे ख़ुद में ही,

अभी आकर मुझे ना बचाना तुम...


ऐसा नहीं कि तेरी ज़रूरत नहीं,

बस तेरी आदत फ़िर से ना पड़ जाए...

जीता रहू तेरे दिल के सहारे हर दिन,

और मेरा दिल कहीं कोने में पड़ा सड़ जाए...

मरकर जिया हूं अभी अभी,

अभी जान फ़िर से ना बन जाना तुम...

गिरकर उठा हूं अभी अभी,

अभी हाथ थामने ना आना तुम...


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