न जीता,न हारा हूं
न जीता,न हारा हूं
जिंदगी में न जीता हूं,न हारा हूं
में तो अपनी मौज का तारा हूं
यहां पे दोस्त क्या, दुश्मन क्या,
मैं तो सबका ही भाई प्यारा हूं
न कोई ख्वाहिस, न कोई गम,
हर ओर से दरिया का किनारा हूं
जिंदगी मेरी न हंसी, न रोई है,
मैं अपने दर्द का भाईचारा हूं
अपनी ही ख़ुदी में बस जीता हूं,
मैं मतलबी दुनिया से न्यारा हूं
जिंदगी में न जीता हूं,
न हारा हूं मैं अपनी ही मौज का तारा हूं।