मुस्कुराऊं कैसे ?
मुस्कुराऊं कैसे ?
बैठा हूं चुप चाप ज़मीं पर,
सोचता हूं मुस्कुराऊं कैसे ?
निकलते नहीं है आंसु,जो
इनको मैं बहाऊं कैसे ,
रहते हैं जो लोग दिल मे,
बार बार भुलाऊं कैसे ?
झूठे रिस्तें निभाऊं कैसे ?
इस दिल को समझाऊं कैसे ?
घाव करतें हैं जो लोग दिल में,
उन्हे मिटाऊं कैसे ?
बैठा हूं चुप चाप जमीं पर,
सोचता हूं मुस्कुराऊं कैसे ?
रो रो कर हर रात को,
सुबह मुस्कुराऊं कैसे ?
झूठी लगती है दुनिया अक्सर,
फरेब अपनाऊं कैसे ?
लाखो सवाल मन में हैं नाचते,
उनका जवाब में पाऊं कैसे ?
बेचैन हूं असमंजस में हूं,
किसी से बताऊं कैसे ?
मासूम हूं बच्चा हूं कमजोर,
बड़ा बन जाऊं कैसे ?
अजीब से नियम है दुनिया के ,
जल्दी सीख जाऊं कैसे ?
बैठा हूं चुप चाप जमीं पर,
सोचता हूं मुस्कुराऊं कैसे ?
डर रहा हूं रास्तों से अपने ,
आगे कदम बढ़ाऊं कैसे ?
कितनों कि उम्मीद हूं मैं,
थक गया हूं बताऊं कैसे ?
क्या सोचेंगे ये लोग सोचकर
ऐसी कविता बनाऊं कैसे?
मां पापा की मेहनत हूं मैं
उनको सफल बनाऊं कैसे ?
सामने हूं आईने के
खुद को नजर लगाऊं कैसे ?
बैठा हूं चुप चाप ज़मीं पर,
सोचता हूं मुस्कुराऊं कैसे ?
कैसे ? कैसे ? कैसे ? कैसे ?