मुलाक़ात
मुलाक़ात
शांति बसती है चुपचाप,
निहारने में खूबसूरती प्रकृति की।
आँखे एक साथ चिपक गई उनकी,
जैसे वो जानते हो एक-दूजे को बरसों से।
‘सुंदरता या कृतज्ञता’ उस लड़की ने पूछा,
‘कोई कैसे सुन्दर हो सकता है,
बिना कृतज्ञता के’उस लड़के ने बोला।
एक की आँखों में आँसू थे,
और दूजे के चेहरे पर चमकीली हँसी थी।
‘प्यार या पैसा’ उस लड़के ने पूछा,
ध्यान और स्नेह एैसी,
दो चीज़े है जिसकी ना कोई भरपाई
बाकी सबके लिए क्रेडिट-कार्ड
है लड़की ने बोला।
तब नदी एक महासागर में जा मिली,
एक पर्वत ने एक पयोधर को चूमा।
हर घंटा लगता,
जैसे मिनट बीता।
उस लड़के ने माँगी दुआ,
कि कभी खत्म ना हो ये मुलाक़ात।

