तुम जरुरी हो
तुम जरुरी हो
सही कहा उन्होंने की घमण्ड मत करो
नहीं हो तुम इस ब्रह्माण्ड के बिंदु बराबर
पर ब्रह्म तुममे भी बसता है
तुम जरुरी हो।
निष्क्रिय हो या प्रबल
विकल हो या हो
चट्टानों सा अटल
तुम जरुरी हो।
मत बैठो थककर इन राहों में
या खोजों राह अपनी
या बना स्वयं का रास्ता
हो हर जगह तुम्हारी ध्वनि
तुम ज़रूरी हो।
अगर शहीद ना होते वैराग्य
तो देश के कैसे खुलते भाग्य
अगर उस आदिमानव ने
न खोजी होती आग
तो सभ्यता होती यहाँ ना आज।
तुम आज हो जो लिखेगा
कल का ताना-बाना
पर कैसे होगा सब
अगर तुमने खुद को नहीं जाना
न चाह कोई लोभ,
ना चाह कोई सम्मान।
भले ही हो तू अकेला
भर तू लंबी उड़ान
ना कोई तेरा संगी
बन तू खुद का सर्वोपरि प्रतिद्वंदी
भले ही आज हो सुर में तंगी
पर बनेगा एक दिन तू सारंगी।
रख खुद पर विश्वास
कर विरला व्यक्तित्व
हुई विदुर जो वाणी
दूजा न होगा कोई तुमसा
तुम ज़रूरी हो
तुम जरुरी हो।
