मुखौटा
मुखौटा
परत दर परत सजे हैं मुखौटे,
सिलसिलों के मुताबिक़ बने है मुखौटे।
कभी तो आँसुओ से भीगे मुखौटे,
कभी खिलखलती हँसी हैं मुखौटे।
कभी बेअदब सी जवानी मुखौटे,
कभी घूंघट की निशानी मुखौटे,
गली कूचों की कहानी मुखौटे।
मुखौटे पहन मुखौटे गिराते मुखौटे,
पीढ़ियों की सीढ़ियां चढ़ते मुखौटे।
जन्म से मृत्यु तक का सफर है मुखौटे,
अजन्मे, अनंत, अद्धभुत हैं यह मुखौटे।
किन्तु उसके दर पर न चलते मुखौटे,
दुनियादारी की भीड़ का हिस्सा मुखौटे।
भीड़ से बने भीड़ में गुम हो जाते मुखौटे।