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umesh kulkarni

Abstract

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umesh kulkarni

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मुझे सुनाओ

मुझे सुनाओ

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मुझे सुनाओ कहानियां क़ुदरतों की

मैं बताऊँ कितना पढ़े हो तुम।


मुझे सुनाओ कितने है दुश्मन तेरे

मैं बताऊँ उसूलों पे कितना खड़े हो तुम।


मुझे सुनाओ कितना अकेले रोये हो तुम

मैं बताऊँ किस चट्टान के बने हो तुम।


मुझे सुनाओ कितना तजुर्बा है तुम्हें

मैं बताऊँ कितनी बार जुड़े हो तुम।


मुझे सुनाओ कितने चोट खाये हो तुम

मैं बताऊँ कितने जंग लड़े हो तुम।


मुझे सुनाओ नाराज़ हमसफ़र की बात

मैं बताऊँ किस कदर जकड़े हो तुम।


मुझे सुनाओ तन्हाई की दर्द-ए-दास्तान

मैं बताऊँ अपनों से कितना बिछड़े हो तुम।


मुझे सुनाओ कितने बुजुर्ग हैं घर तुम्हारे

मैं बताऊँ शख्सियत कितने बड़े हो तुम।


मुझे सुनाओ हँसाए कितने नन्हों को तुम

मैं बताऊँ रब के कितने करीब हो तुम। 


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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