STORYMIRROR

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

4  

हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Tragedy

मुझे माफ करना भारत

मुझे माफ करना भारत

1 min
301

थोड़ा अराजक थोड़ा सा हिंसक थोड़ा लाचार हूं

मुझे माफ करना भारत मैं तेरा अपना ही बिहार हूं 


मेरी संतति की बुद्धि पर पूरी दुनिया को नाज है 

मेरे नौजवानों की आसमानों से ऊंची परवाज है 

"नालंदा" जैसी ख्यातिप्राप्त संस्था का पालनहार हूं 

मुझे माफ करना भारत मैं तेरा अपना ही बिहार हूं 


मैंने जे पी आंदोलन भी देखा था जब आपातकाल था 

दमनचक्र में पिसता यौवन जन जन जीवन बेहाल था 

"मीसा" की चक्की में पीसा, मां भारती का श्रंगार हूं 

मुझे माफ करना भारत मैं तेरा अपना ही बिहार हूं 


मैंने इसे जंगलराज बनते हुए करीब से देखा है 

अपहरण उद्योग से बर्बाद होते लोगों को देखा है 

चारा चरने वाला बस मैं ही तो इकलौता परिवार हूं 

मुझे माफ करना भारत मैं तेरा अपना ही बिहार हूं 


"सुशासन बाबू" कब "कुशासन बाबू" बने पता नहीं चला 

सत्ता के लिए जाति, धर्म, अगड़ा पिछड़ा सब खेल खेला 

आज के हालातों का भैया मैं ही तो सूत्रधार हूं 

मुझे माफ करना भारत मैं तेरा अपना बिहार हूं! 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy