मुहब्बत
मुहब्बत
गुले गुलशन गुलज़ार हुआ दिल
पुष्प गुच्छों सा बहार हुआ दिल,
महकने लगी मेरी अंगड़ाइयां तब ,
धड़कनों पर तेरी बेक़रार हुआ दिल।
फूलों की महक तेरे आने की ख़बर देती है
इंतज़ार करवाना तेरा मेरा सबर लेती है,
क्यूँ जान बूझकर तन्हाई का आलम बनाते हो ,
जानती हूँ स्वप्न मेरे तेरी नज़र लेती है ।
यारों मुहब्बत दूर से ही अच्छी लगती है
दिल में उतारो तो किसी को सच्ची लगती है,
सामने वाले के दिल का राज़ क्या जानेंगें हम
हमको ये दीवानगी अब अच्छी लगती है।

