मुहब्बत।
मुहब्बत।
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मोहब्बत मुस्तकिल आजार भी है
यह गुलशन वादी -ए पुर खार भी है
यही तूफान डुबो देता है अक्सर
इसी तूफान से बेड़ा पार भी है
उल्फत का नशा जब कोई मर जाए तो जाए
यह दर्द -ए सर ऐसा है कि सर जाए तो जाए
कहते हैं जुनून-ए इश्क जिसे तूफान- ए तमन्ना होता है
किस ठाट से मौजे उठती है जब जोश में दरिया होता है
इन ओस के कतरों से नादाँ बुझती है किसी की प्यास कभी
सैराब वही कर सकता है जो दिल का दरिया होता है।