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Arunima Bahadur

Inspirational

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Arunima Bahadur

Inspirational

मत याद दिलाओ

मत याद दिलाओ

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मत याद दिलाओ,मुझे मेरा स्त्रीत्व,

न सिखाओ मुझे अब नारियों के गुण,

शायद भूले तुम हो,जननी नारी है,

पालक नारी है,सृजेता नारी है।

बहुत हो गए बंधन,

बहुत बना ली तुमने रीतियां,

रक्षक का रूप दिखा,

हरने चले थे तुम,

नारियों की विभूतियां।

अब नही,अब और नही,

अस्वीकृत है मुझे,

तेरे सिखाए हुए नारीत्व के गुण,

अबला का रूप,शालीनता के गुण,

मर्यादाओं की बाते, डर वाली राते,

जो सिखा कर मुझे,

बना दिया समाज ने एक शिला,

एक मूरत,घर की शोभा बना,

रख दिया सजा संवार एक कोने में,

बन कर शासक,खेल लिया जब चाहा,

पर न जान पाए,

तुम मुझ शिला की आत्मा को,

न पहुंच पाए,मेरे मन तक,

अनगिनत अश्रुधार संग,

जिया भी मैंने,संवारा भी मैंने,

पर यह अधिकार नही दिया,

कि स्त्रीत्व के नाम पर,

तुम बंदिशे बांधो,

आज भर रही हूं मैं सशक्त उड़ान,

वसुधा को नव रूप देने को,

जिससे तुम भी,

सीख पाओ,

कुछ मानवीय गुण,

आत्मीयता,सौम्यता,निष्ठा

और वह प्रेम भी,

जो मेरे मन तक पहुंचे,

तन का ही प्यासा न रहे।।



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