STORYMIRROR

Yudhveer Tandon

Abstract

4  

Yudhveer Tandon

Abstract

मत नाच इशारों पे

मत नाच इशारों पे

1 min
264

अपनी भी तो ऊँची सोच रख मीनारों पे

क्यों रोल रहा जीवन किसी के इशारों पे


थामी पतवार जो तूने नज़र रख किनारों पे

क्यों डूब रहा मझधार किसी के इशारों पे


क्यों झोंक रहा खुद को जलते अंगारों पे

मत जला हस्ती अपनी किसी के इशारों पे


क्यों मजबूर है चलने को नंगी तलवारों पे

है नाच रहा क्यों तू औरों के इशारों पे


क्या लाभ है तेरा चढ़ने का इन दीवारों पे

मत कर यूँ बर्बाद ये जीवन गैरों इशारों पे


क्यों अफ़सोस तुझे है औरों की बहारों पे

क्यों जहर रहा है घोल तू औरों के इशारों पे


बोझ अपने आप का मत डाल कहारों पे

क्यों भार बना है धरती पे औरों के इशारे पे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract