मत कह देना, बिटिया हुई पराई
मत कह देना, बिटिया हुई पराई
जिससे मैंने प्रीत लगाई... उससे हुई सगाई,
पर बाबुल ये मत कह देना बिटिया हुई पराई।
कन्यादान किया तुमने इससे तो बड़ा कोई दान नहीं,
जिसने पाणिग्रहण किया,क्या वो भी पुत्र समान नहीं ?
शिक्षा माँ की याद रखूँगी।
दोनों कुल का मान रखूँगी।
मुझे पता है आज सुबह हो जाएगी मेरी बिदाई।
पर मैया यह मत कह देना, बिटिया हुई पराई।
हाथ सजन ने थामा जब, मैं धोड़ी सी सकुचाई।
लगा धड़कने दिल मेरा, यौवन ने ली अंगड़ाई।
बाबुल का घर छोड के मुझको आज सजन संग जाना,
इस घर की ही तरह मुझे उस घर को भी अपनाना।
आज मेरे जीवन में दो- दो माता- पिता हुए हैं।
साजन के सारे संबंधी ...मेरे स्वजन हुए हैं।
दोनों कुल की लाज रखूँगी, अब दो मुझे विदाई।
माँ बाबा यह मत कह देना, बिटिया हुई पराई।