वादा तो टूट जाता है
वादा तो टूट जाता है
नेता के वादे पर मत विश्वास करो।
नेताओं से कोई भी न आस करो।
रंग बदलते रहते हैं इतने ज्यादा,
जिसे देखकर गिरगिट भी पछताती है।
रो- रोकर वो अपनी व्यथा सुनाती है।
मैंने इतने ज्यादा रंग नहीं बदले
क्यों मेरी तुलना इनसे की जाती है?
समझदार हो, इतना नहीं जानते क्या?
नेताओं के सारे वादे झूठे हैं।
चुनाव का मौसम आते ही ये नेता,
सब्जबाग दिखलाते बड़े अनूठे हैं।
इनका वादा कहने को वादा होता।
जीवन में शायद पूरा हो पाता है।
नेता के वादों पर न कभी यकीन करो,
इनका किया वादा तो टूट ही जाता है।