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Priyanka Jhawar

Abstract

4.6  

Priyanka Jhawar

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मसालों का घर

मसालों का घर

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नाम है मसालदानी या मसाले का डब्बा, होता है यह मसालों का घर।

इस छोटे से घर से सजता है, दुनिया का हर रसोईघर।।

मसालों के इस घर में, नमक मिर्ची होते हैं पिता माता।

सब मसाले अपनी जगह है, नमक मिर्ची के बिना कुछ नहीं भाता।।

जैसे पिता जीवन में भरें स्वाद, और जब डांटे तो खारे लगे।

वैसे ही नमक खाने में भरें स्वाद, और ज्यादा हो जाए तो खारा लगे।।

जैसे मां के होते रुप अनेक, कभी दिखाती है गुस्सा और करती भी, तो कभी सिर्फ दिखाती हैं पर असली में गुस्सा नहीं होती।

वैसे ही होती मिर्ची, कभी दिखती भी लाल और तीखी भी होती, तो कभी सिर्फ दिखने की लाल पर खाने में फीकी होती।।

मसाले का यह घर हमें साथ रहना, और एक दूसरे से प्यार करना सिखाता है।

कोई कभी कम ज्यादा पड़ जाए व्यंजन में, तो दूसरा उसमें मिलकर उसे संभालता है।।  

थोड़ा ही सही इस मसाले के डब्बे में, मसाला हमेशा भरा होना चाहिए।

अरे! यह मसाले का डब्बा नहीं उनका घर है, और घर कभी खाली नहीं होना चाहिए।।


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