मरने से पहले
मरने से पहले
मैं मरने से पहले
तोता नहीं बनना चाहता
जो रटता रहे वो बातें
जो सामने वाला कहता है...
मैं मरने से पहले
झरना नहीं बनना चाहता
जो गिर जाए ऊंचाई से
सिर्फ खूबसूरत कहलाने के लिए...
मैं मरने से पहले
लकड़ी नहीं बनना चाहता
जो जलाती है जंगल
या फिर प्राणहीन शरीर को...
मैं मरने से पहले
साज़ नहीं बनना चाहता
जो बजता रहता है
केवल महफ़िलों में...
मैं मरने से पहले
हवा नहीं बनना चाहता
जो घोल कर फैलाती है
किसी और की गंध...
मैं मरने से पहले
मिट्टी नहीं बनना चाहता
जो ढोती रहती है
निशाँ उस पे चलने वालों के...
मैं मरने से पहले
चाँद नहीं बनना चाहता
जो देखता रहता है केवल
अँधेरी धरती पे कारनामे...
मैं मरने से पहले
कलम नहीं बनना चाहता
जो रहती है निर्भर
स्याही, हाथ और विचारों के...
मैं मरने से पहले
बनना चाहता हूँ वो परिंदा
जो हर मौसम में निकल पड़ता
अपने गंतव्य के लिए
हवा की दिशा के साथ या विपरीत
अपने उन अपनों के साथ, जो साथ हैं
चहचहाते हुए
खुले आसमां में
अपने पंखों की क्षमता के अनुसार
चलने (उड़ने) का नाम ही तो है जीवन...