वो जोश था या जुनून था...
मेरे इश्क़ में ज़रूर था...
जिसका मुझे गुरूर था...
वही बेवफा हुज़ूर था...
ज़मीन से फलक था...
कुछ तो अलग था...
जो भी था जैसा था...
अब लगता फिजूल था...
वो भी क्या वक़्त था...
जब मुझ पे तेरा हक़ था...
वो जो सपना था...
हमेशा लगा अपना था...
उस वक़्त आँसू कम था...
मेरी आँखो से ज़्यादा मेरा दिल नम था...
जो चाहिये था वो सब मिला था...
तू ना मिल पाई बस उसका गिला था...
प्यार नहीं था तो इज़हार क्यों था...?
बेवजह का इकरार क्यू था...?