मोहब्बत
मोहब्बत
दो लोग संग..और एक जीवन..
हर एक शोहरत.. और साथ सफर..
फ़िर भी जाने क्यूँ एक घुटन सी है...
गुल के दामन में भी एक चुभन सी है।
गर दिल में मोहब्बत ना हो तो,
दिल वीराँ हो जाते हैं..
जज़्बात की कद्र जो ना हो तो,
मंजर सुनसान हो जाते हैं।
कुछ पाने की शिद्दत,
उल्फ़त तो नहीं..
सिर्फ़ दिल का लगाना,
मोहब्बत तो नहीं।
सीरत के अंधेरों को भी
चाहना पड़ता है..
सिर्फ सूरत का लुभाना
मोहब्बत तो नहीं।
जब जीवन भर
संग कोई आ जाये...
गुलशन संग
खिजाएँ भी संग लाये।
काँटों से चाक उस दामन को,
सुई धागा कर पाना मोहब्बत है..
उस दामन से काँटे चुन करके,
ज़ख्म मरहम लगाना मोहब्बत है।
सिर्फ़ मोहब्बत कर पाना मोहब्बत नहीं,
मोहब्बत को निभाना मोहब्बत है..
जिस्मों की तलब जब मिट जाए तब,
एहसासों का रह जाना मोहब्बत है।।

