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Shubham Sharma

Inspirational Others

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Shubham Sharma

Inspirational Others

कोई मेहमान ना आया

कोई मेहमान ना आया

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सब जाना तो ये जाना कि कुछ भी जान ना पाया..

इन अपनों में कुछ अपने थे, उन्हें पहचान ना पाया..!!


तेरी हर एक नसीहत का यूँ तो है ऐतबार मुझको..

गुरुर-ए-ख़ुद में था कुछ यूँ, कि कुछ भी मान ना पाया..!!


कारवाँ में जो हुए शामिल, ये दिल वीरान हो बैठा..

ख़ुद से मिलना था लेकिन, रस्ता सूनसान ना आया..!!


आयत की, इबादत की, मोहब्बत कर नहीं पाया,

ख़ुदा मिल भी जाता पर दिल में ईमान ना आया..!!


थी चाहत किसी मासूम पे ख़ुद को निसार करने की..

सयानों की इस भरी बस्ती, कोई नादान ना आया..!!


लगा रहता है ताँता.. घर पे अनचाहे अपनों का..

दिल की दहलीज़ पर लेकिन कोई मेहमान ना आया!!


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