अब रहने दे..
अब रहने दे..
कभी कभी तो यूँ हो कि,
तू सुनना चाहे, मैं कुछ ना कहूँ..
तू मुझ को हर पल याद करे,
मैं आँखें पढ़ के भी चुप ही रहूँ..!!
कुछ पल को ही हो लेकिन,
हो यूँ कि किरदार बदल जाएँ..
तू हर पल मेरा संग चाहे,
मैं संग होके भी संग ना रहूँ..!!
तू मेरी हर बात पे राज़ी हो,
मैं मर्ज़ी का मालिक हो जाऊँ..
तू कहना चाह के भी कह ना सके,
मैं जो जी चाहे, कुछ भी कहूँ..!!
पर सोच के ही ग़म खाता हूँ,
तू ऐसी तलब एक पल भी सहे..
चल जैसा भी है, अब रहने दे,
तू तू ही रह, मैं मैं ही रहूँ..!!

